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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आधार कार्ड की अनिवार्यता के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं के लिए इसे बाध्यकारी नहीं बना सकती। हालांकि कोर्ट ने भी कहा कि सरकार को बैंक खाते खोलने जैसी दूसरी योजनाओं में आधार को अनिवार्य करने से नहीं रोका जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए सात जजों की बेंच बनाना संभव नहीं है।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सामाजिक कल्याण की योजनाओं के लिए आधार को जरूरी नहीं किया जा सकता। लेकिन, इसे गैर-लाभकारी योजनाओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कोर्ट का कहना था कि उनका पिछला आदेश इस संबंध में पूरी तरह स्पष्ट था। आयकर जैसी गैर-लाभकारी योजनाओं में आधार को अनिवार्य किए जाने से सरकार को रोका नहीं जा सकता।

हाल ही में सरकार ने करीब एक दर्जन केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों के लिए 12 अंकों वाले आधार कार्ड को अनिवार्य करने का फैसला लिया है। इसमें स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मील की स्कीम भी शामिल थी, जिस पर बाद में छूट देने का फैसला लिया गया। इसके अलावा पिछड़े वर्ग और विकलांगों को मिलने वाली स्कॉलरशिप के लिए भी आधार को अनिवार्य करने का फैसला लिया गया है। सरकार का कहना है कि वह सुनिश्चित करेगी कि 30 जून तक सभी लोगों के पास आधार कार्ड हों। सब्सिडी पर एलपीजी गैस लेने और खाद्य पदार्थों के लिए भी सरकार ने आधार को अनिवार्य किया है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आधार अनिवार्य बनाने के मुद्दे पर सुनवाई को लेकर कोई निश्चत तारीख देने से इंकार कर दिया और कहा कि कोर्ट समय को मद्देनजर रखते हुए मामले की सुनवाई करेगा। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से आधार को सभी योजनाओं से लिंक किया जा रहा है। हाल ही में आधार कार्ड को पैन कार्ड और आयकर रिटर्न भरने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही रियायती दर पर ट्रेन यात्रा के लिए टिकटों का आरक्षण कराने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किये जाने की पहल चल रही है।

गौरतलब है कि राशन की दुकानों से सब्सिडी वाला जरूरी सामान खरीदने के लिए भी आधार कार्ड को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है। राशन कार्ड रखने वाले जिन लोगों के पास आधार नहीं है, उन्हें 30 जून तक इसके लिए अप्लाई करने का वक्त दिया गया है।

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