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एम4पीन्यूज|चंडीगढ़

आम तौर पर लोग टैक्स को बचाने की हर कोशिश करते हैं। लेकिन इस मामले में एक ऐसा राज्य भी जिसका कोई जवाब नहीं है। यहां के लोगों ने दिल खोल कर टैक्स चुकाया है। आयकर चुकाने में हरियाणा के करदाता अव्वल हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात और प्रदेश की धीमी अर्थव्यवस्था के कारण के कारण उत्तरी क्षेत्र में लक्ष्य से काफी कम कर की प्राप्ति हुई है। नोटबंदी के कारण जहां उत्तरी क्षेत्र में टैक्स कलेक्शन का आंकड़ा बढ़ा तो दूसरी तरफ जनसंख्या के आधार पर चंडीगढ़ (यूटी) के सर्वाधिक 36.46 फीसदी एसेसी हैं।

चंडीगढ़ शहर सबसे ज्यादा टैक्स देता है। उत्तर पश्चिम क्षेत्र में चंडीगढ़ शहर कुल जनसंख्या का 36.46 फीसदी हिस्सा इनकम टैक्स देता है जो सबसे अधिक अनुपात है। इनकम टैक्स विभाग के क्षेत्रीय आंकड़ों के अनुसार चंडीगढ़ की 36.46 फीसदी जनसंख्या इनकम टैक्स देती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 10.55 लाख की आबादी में से 3.85 लाख लोग अपना इनकम टैक्स अदा करते हैं।

ध्यान रखने वाली बात ये है कि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में पंजाब, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर आते हैं। पंजाब में यह अनुपात जनसंख्या का 5.42 फीसदी, हरियाणा में 4.77 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में 5.10 फीसदी है। इस क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर में यह अनुपात सबसे कम यानी 1.56 फीसदी है।

रिटर्न भरने में पंजाब आगे, टैक्स भरने में पीछे
पंजाब की 2.77 करोड़ आबादी में से 15.03 लाख लोग यानी सिर्फ 5.42% ही इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं। जबकि हरियाणा की 4.77% आबादी रिटर्न भर रही है। 2016-17 में हरियाणा से 18914.8 करोड़ इनकम टैक्स मिला, जबकि पंजाब से 7744.2 करोड़ रुपए।

चंडीगढ़ पहला शहर, जहां 36% आबादी ने भरा रिटर्न
चंडीगढ़ देश का पहला ऐसा शहर है, जिसकी 36.46% आबादी ने इनकम टैक्स रिटर्न भरा है। चंडीगढ़ की 10.55 लाख आबादी में से 3.85 लाख ने टैक्स रिटर्न भरा है। दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर में 1.56% लोगों ने रिटर्न भरा है। नॉर्थ-वेस्ट रीजन में कुल 4.95% लोग ही रिटर्न भरते हैं।


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