मुख्यमंत्री मान के ड्रीम प्रोजैक्ट मालवा नहर परियोजना ने पकड़ी रफ्तार, पर्यावरण मंत्रालय सेे मंजूरी के लिए भेजा प्रस्ताव
कुल लागत में हुआ इजाफा, अब करीब 2423.17 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान, पहले करीब 2300 करोड़ रुपए खर्च का था एस्टीमेट
चंडीगढ़ :
मुख्यमंत्री भगवंत मान के ड्रीम प्रोजैक्ट मालवा नहर प्रोजैक्ट ने रफ्तार पकड़ ली है। सरकार ने इस योजना का विस्तृत मसौदा तैयार कर पर्यावरण मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजा है। करीब 2623.17 करोड़ रुपए की इस योजना के लिए करीब 2308 एकड़ जमीन का इस्तेमाल होना है। इसमें से 1486 एकड़ जमीन पहले से उपलब्ध है जबकि 822 एकड़ अतिरिक्त जमीन अधिगृहित करने का प्रस्ताव है। चूंकि यह परियोजना हरीके वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के दायरे में आती है, इसलिए 11.37 हैक्टेयर वन भूमि को डायवर्ट करने का प्रस्ताव पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है।
मालवा नहर परियोजना को राजस्थान फीडर की लेफ्ट साइट बनाने का प्रस्ताव है। लागत राशि व राजस्थान फीडर की सुरक्षा के मद्देनजर राजस्थान फीडर की लेफ्ट साइट करीब 70 फीट जमीन को अधिगृहित नहीं किया जाएगा। यही वजह है कि प्राइवेट लैंड को अधिगृहित करने का प्रस्ताव रखा गया है। मालवा नहर निर्माण के दौरान राजस्थान फीडर व सरहिंद फीडर से होने वाली हैवी सीपेज यानी बड़े जल रिसाव जैसी चुनौती से निपटने के लिए 12365.22 लाख रुपए का प्रावधान रखा गया है। इसी कड़ी में नहर के दोनों तरफ किनारों की मजबूती पर खास फोक्स किया गया है।
2005.36 क्यूसिक क्षमता वाली मालवा नहर से 2.14 लाख एकड़ जमीन को मिलेगी सिंचाई की सुविधा
मालवा नहर परियोजना को करीब 2005.36 क्यूसिक वाटर सप्लाई क्षमता से डिजाइन किया जा रहा है, जिससे 2.14 लाख एकड़ कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। इस नहर की कुल लंबाई करीब 149.53 किलोमीटर होगी।
ट्यूबवैल सिंचाई का विकल्प बनेगी मालवा नहर
मालवा नहर परियोजना फिरोजपुर, फरीदकोट और मुक्तसर के बड़े भूभाग में ट्यूबवैल के भरोसे होने वाली सिंचाई का विकल्प बनेगी। मौजूदा समय में यह इलाका सरहिंद नहर परियोजना के जरिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाता है लेकिन खरीफ के मौसम में डिमांड के हिसाब से पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है। इसके चलते नहरों को रोटेशन के हिसाब से चलाना पड़ता है, जिससे कानून व्यवस्था की चुनौती खड़ी हो जाती है। वहीं, किसान ट्यूबैवल के भरोसे हो जाते हैं, जिससे भूजल पर दबाव बढ़ता है। चूंकि पंजाब का 82 फीसदी हिस्सा अत्याधिक भूजल दोहन से ग्रसित है और करीब 138 ब्लॉक की ओवर एक्सप्लोइटैशन है, इसलिए नई मालवा नहर परियोजना अतिरिक्त पानी उपलब्ध करवाएगी, जिससे भूजल पर दबाव घटेगा।
नेटवर्क डिस्ट्रीब्यूशन व जमीन अधिग्रहण पर सबसे ज्यादा धनराशि खर्च होगी
इस परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण पर करीब 55086.55 लाख रुपए खर्च होंगे जबकि 69618 लाख रुपए नेटवर्क डिस्ट्रीब्यूशन पर खर्च किए जाएंगे। इसी कड़ी में, 4676 लाख रुपए 7 क्रॉस रेग्यूलेटर व 3 हेड रेग्यूलेटर पर खर्च होंगे। 7647.58 लाख रुपए 18 क्रॉस ड्रेनेज पर खर्च होंगे। 18116.12 लाख रुपए 71 ब्रिज निर्माण, फील्ड पाथ पर खर्च होंगे। 1565.79 लाख रुपए 7 एस्केप चैनल्स के निर्माण पर खर्च होंगे। 181.71 लाख रुपए गेज हट व रेजीडेंशियल बिल्डिंग निर्माण पर खर्च होंगे। 31148.72 लाख रुपए अर्थ वर्क पर खर्च होंगे। 21697.22 लाख रुपए परियोजना की कंक्रीट लाइनिंग पर खर्च होंगे। 23752.38 लाख रुपए ड्रेनेज बीहाइंड लाइनिंग पर खर्च होंगे। 12365.22 लाख रुपए जल रिसाव जैसी चुनौती से निपटने पर खर्च होंगे। 998 लाख रुपए रेन वाटर ड्रेन सिस्टम पर खर्च होंगे। वहीं, करीब 14446 लाख रुपए अन्य कार्यो पर खर्च होंगे।
स्काडा आधिारित स्पोर्ट सिस्टम करेगा काम
मालवा नहर परियोजना द सूपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्यूजीशन (स्काडा) पर आधिारित डिसीजन स्पोर्ट सिस्टम के जरिए ऑपरेट होगी। इससे डैम से आने वाले बहाव और नहर के बहाव की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी। साथ ही, रेन फॉल मॉनीटरिंग के अलावा नहर से सिंचाई होने वाले क्षेत्र को रिमोट सैंसिंग के जरिए मॉनीटर किया जाएगा ताकि फसल की किस्म, उपज और हालात को देखते हुए किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए।
सोलर बेस्ड लिफ्ट पंप नेटवर्क होगा
मालवा नहर परियोजना में पानी के बहाव पर आधारित सिंचाई व्यवस्था की पूरी गुजाइंश नहीं है, इसलिए लिफ्ट पंप लगाए जाएंगे। इसके लिए सोलर एनर्जी बेस्ड डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क होगा। नहर के कई हिस्सों में सोलर पैनल लगाए जाएंगे। साथ ही, राजस्थान फीडर और मालवा नहर बीच खाली जगह का इस्तेमाल किया जाएगा।