Wednesday

15-01-2025 Vol 19

केंद्र सरकार की शक्तियों को चुनौती दे रहे एडवाइजर साहब

-आई.एफ.एस अधिकारी को हटाकर आई.ए.एस. अधिकारी को लगाया चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी का मैंबर सेक्रेटरी 
-प्रशासन में अब आई.एफ.एस. बनाम आई.ए.एस. की नौबत
 चंडीगढ़, 9 दिसंबर (punjab kesari report)
केंद्र सरकार की शक्तियों को चुनौती दे रहे एडवाइजर साहब, जिस चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी का पुर्नगठन करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया गया, उस नोटिफिकेशन को चंडीगढ़ के प्रशासक विजय देव ने सुपरसीड करते हुए अपने स्तर पर ही उसमें फेरबदल कर दिया है। और तो और नोटिफिकेशन के जरिए पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी में मैंबर सेक्रेटरी के पद पर तैनात किए गए आई.एफ.एस. अधिकारी को हटाकर उनकी जगह आई.ए.एस. अधिकारी को तैनात कर दिया है। केंद्र सरकार ने 29 मई 2015 को चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी का पुर्नगठन संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया था।
चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से कमेटी के पुर्नगठन संबंधी पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया था कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 15 मार्च 1991 को नोटिफिकेशन जारी कर चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी का गठन किया था। बाद में चंडीगढ़ प्रशासन के प्रस्ताव पर 11 दिसंबर 1992 में नई नोटिफिकेशन जारी कर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने चंडीगढ़ कमेटी का पुर्नगठन किया गया। इसके बाद 23 अक्तूबर 2002 को एक बार फिर प्रशासन की तरफ से पर्यावरण मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव पर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने पहले जारी नोटिफिकेशन को सुपरसीड करते हुए नई नोटिफिकेशन जारी कर दी।
इसी कड़ी में अब 2015 के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन एक बार फिर चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी के पुर्नगठन का प्रस्ताव पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्रालय को भेज रहा है ताकि मंत्रालय के निर्देशों पर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड नए सिरे से कमेटी के पुर्नगठन संबंधी नोटिफिकेशन जारी करे। इसी आधार पर बोर्ड ने सेंट्रल वाटर एक्ट, 1974 व एयर एक्ट,1981 के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए 29 मई 2015 को नई नोटिफिकेशन जारी की थी।
सेक्रेटरी एन्वायरमेंट ने आई.एफ.एस. को बनाया था मैंबर सचिव
पर्यावरण मंत्रालय को भेजने के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में पहले चंडीगढ़ पर्यावरण विभाग के साइंटिस्ट (एस.ई) को मैंबर सेक्रेटरी जबकि डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (आई.एफ.एस) को बतौर सदस्य के तौर पर तैनात करने का फैसला किया गया था लेकिन प्रशासन के पर्यावरण सचिव ने इसमें फेरबदल करते हुए आई.एफ.एस. को कमेटी का मैंबर सेक्रेटरी जबकि साइंटिस्ट को सदस्य के तौर पर तैनात करने का सुझाव दिया।
प्रशासक ने लगाई थी मोहर
पर्यावरण सचिव के सुझाव पर अमल करने के बाद इस मामले को चंडीगढ़ प्रशासक के पास विचार के लिए भेज गया, जिसपर प्रशासक ने प्रस्तावित प्रस्ताव पर अपनी मोहर लगा दी। खास बात यह रही कि प्रशासक से अनुमति के बाद यह फाइल प्रशासक के सलाहकार के कार्यालय में आई, जिसे यहां से क्लीयर कर पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया। बावजूद इसके सलाहकार ने अब इसमें अपने स्तर पर ही फेरबदल कर दिया है।
सेंट्रल वाटर एंड एयर एक्ट को सीधी चुनौती
प्रशासक के सलाहकार विजय देव की तरफ से नोटिफिकेशन को ताक पर रखकर आई.एफ.एस. को हटाना सीधे तौर पर सेंट्रल वाटर एंड एयर एक्ट को चुनौती देना है। सेंट्रल वाटर (प्रीवैंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट, 1974 के क्लॉज 4 सैक्शन 4 व सेंट्रल एयर (प्रीवैंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट, 1981 के सैक्शन, 6 में साफ तौर पर लिखा है कि केंद्र शासित प्रदेश में स्टेट बोर्ड का गठन नहीं किया जा सकता है, केंद्र शासित प्रदेश में सेंट्रल बोर्ड ही केंद्रीय शक्तियों व कार्यों का निर्वाह करेगा। इसी कड़ी में सेंट्रल बोर्ड केंद्र शासित प्रदेश में किसी व्यक्ति या बॉडी को शक्तियां प्रदान कर सकता है। जाहिर है कि नोटिफिकेशन जारी कर सेंट्रल बोर्ड ने डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट को मैंबर सेक्रेटरी की शक्तियां प्रदान की हैं तो इसमें फेरबदल करना सीधे तौर पर केंद्र सरकार की शक्तियों को चुनौती देने के बराबर है।
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आई.एफ.एस बनाम आई.ए.एस. की आ सकती है नौबत
इस फेरबदल से चंडीगढ़ में आई.ए.एस. बनाम आई.एफ.एस का संकट पैदा हो सकता है। चंडीगढ़ प्रशासन पहले ही पी.सी.एस./एच.सी.एस. अधिकारियों की जगह आई.ए.एस. अधिकारियों को ज्यादा तव्वजो देने के विवादों में घिरा हुआ है। 8 दिसंबर 2015 को किए गए प्रशासनिक फेरबदल में भी पी.सी.एस. अधिकारी अमित तलवार को दिया गया चार्ज आई.ए.एस. अधिकारी कशिश मित्तल को दे दिया गया था। इसी कड़ी में आई.एफ.एस. अधिकारी बीरेंद्र चौधरी को मिले चार्ज को आई.ए.एस. अधिकारी दानिश अशरफ को सौंपने की पहल कर दी गई है, जिससे आई.ए.एस. काडर व अन्य काडर के बीच तनाव बढऩे की संभावनाएं बन सकती हैं।
सलाहकार ने नहीं दिया जवाब
इस मामले पर प्रशासक के सलाहकार विजय देव को फोन किया गया लेकिन उन्होंने फोन काट दिया। उन्हें मैसेज किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वाट्अप पर पूरे मामले का ब्यौरा देकर जवाब मांगा गया, फिर भी उन्होंने कोई जवाब देने की जहमत नहीं उठाई।

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