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भारत तीर्थस्थलों का अद्भुत देश है। शायद ही दुनिया का कोई अन्य देश होगा जहां धर्म से जुड़े इतने अधिक और सर्वमान्य तीर्थस्थान होंगे। दिलचस्प बात यह है कि इनमें बहुसंख्यक हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों के भी पवित्र स्थल शामिल हैं। बहुत हद तक संभव है कि आप धर्म में यकीन न रखते हों, लेकिन फिर भी भारत आने वाले या यहां रहने वालों को कम से कम एक बार यहां ज़रूर जाना चाहिए।
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राजगीर (बिहार):
कभी मगध साम्राज्य की राजधानी रहा राजगीर आज देश के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। कहा जाता है कि बुद्ध ने यहां अपने जीवन के 12 वर्ष व्यतीत किए थे। सामान्यतः यह बौद्धमत से जुड़ा तीर्थ स्थान है लेकिन यहां आने वाले पर्यटक किसी धर्म विशेष में बंधे हुए नहीं हैं। राजगीर में शांति स्तूप, गृधकुता पहाड़ी और सप्तपर्णी गुफाएं भी खासा आकर्षण का केंद्र हैं।
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बोधगया (बिहार):
बोध गया बौद्ध अनुयायियों के विभिन्न पवित्र स्थलों में से एक है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार यहीं पर पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसके बाद वह बुद्ध कहलाए। यहां वर्षभर पर्यटकों और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
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दरगाह शरीफ (अजमेर, राजस्थान):
कभी अजयमेरू के नाम से जाना जाने वाला शहर आज अजमेर के नाम से जाना जाता है। विशेषकर आज यह जगह सूफी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए अधिक प्रसिद्ध है। इन्होंने ही सूफी परंपरा में चिश्ती सिलसिले की शुरुआत की थी।
यह जगह भी धार्मिक बंधनों से मुक्त है। यहां दुनिया भर से विभिन्न धर्मों को मानने वाले बड़ी संख्या में आते हैं। यहां ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, उनकी बेटी और मुगल शासक शाहजहां की बेटी की कब्र है।
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स्वर्ण मंदिर (अमृतसर, पंजाब):
हरमिंदर साहिब या स्वर्ण मंदिर सिख समुदाय के लिए दुनिया भर में सर्वाधिक पवित्र स्थल है। यहीं पर पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को रखा गया है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसके दरवाजे सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए खुले हैं। यहां किसी के साथ धर्म, जाति, अमीर-गरीब या किसी भी अन्य स्तर पर भेदभाव नहीं किया जाता है।
इसका जीता-जागता उदाहरण यहां हर दिन आयोजित होने वाला लंगर है जिसमें विभिन्न वर्गों, समुदायों और धर्मों के करीब 10 हजार से ज्यादा लोग एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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बद्रीनाथ (उत्तराखंड):
हिंदू धर्म के चार धामों में से एक बद्रीनाथ भगवान शिव को समर्पित तीर्थ स्थल है। बेहद खूबसूरत दृश्यों से भरपूर बद्रीनाथ आने के बाद आप इसे कभी भुला नहीं पाएंगे। बद्रीनाथ से जुड़े ही यहां चार अन्य तीर्थ स्थान भी हैं जिन्हें मिलाकर इन्हें पंचबद्री कहा जाता है। ये हैं योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री।
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केदारनाथ (उत्तराखंड):
यह भी चार धामों में से एक है और शिव को समर्पित है। यह भी अपने खूबसूरत दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पांडव प्रायश्चित के लिए यहीं पर शिव की शरण में आए थे।
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यमुनोत्री और गंगोत्री (उत्तराखंड):
हिंदू धर्म में नदियों को पवित्र माना गया है और उन्हें माता की संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार एक मां अपने पुत्रों को जीवन देने के साथ उनका पोषण करती है उसी प्रकार ये जीवनदायिनी नदियां भी स्वयं पर निर्भर मानव का भरण-पोषण करती हैं। यमुनोत्री जहां यमुना नदी का उद्गम स्थल है वहीं गंगोत्री से पवित्र गंगा नदी का उद्गमहै।
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श्रवणबेलगोला (कर्नाटक):
श्रवणबेलगोला प्रमुख जैन तीर्थस्थल है। यह गौमतेश्वर की 17 मीटर ऊंची विशाल मूर्ति के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। इसे 20 किमी. दूर से ही देखा जा सकता है।
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दिलवाड़ा मंदिर (राजस्थान):
यह जैन तीर्थस्थान अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध तो है ही इसके साथ ही यह अपनी जबर्दस्त कलात्मक शैली के लिए भी जाना जाता है। संगमरमर के पत्थरों पर उकेरी गई बेहद खूबसूरत मूर्तियों और डिजाइन्स को देखकर कोई भी दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाए। अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध प्राचीन भारत के तमाम मंदिरों में से यह भी एक है।
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कैलाश मानसरोवर:
समुद्र तल से 6714 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कैलाश भगवान शिव का आवास माना जाता है। कहा जाता है कि यहां आने के बाद व्यक्ति के जीवन से भ्रम और दुविधाएं समाप्त हो जाती हैं।
कैलाश जैन और बौद्ध अनुयायियों के लिए भी पवित्र स्थल है। जैन मतावलंबियों का मानना है कि उनके 24 तीर्थंकरों में प्रथम ऋषभदेव ने यहीं पर मुक्ति पाई थी। वे इसे ‘अष्टपद’ के नाम से पुकारते हैं। वहीं बौद्ध इसे ‘कांग रिमपोछे’ के नाम से जानते हैं।
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अमरनाथ (जम्मू-कश्मीर):
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित भगवान शिव का तीर्थस्थल अमरनाथ भी दिल को छू लेने वाले प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। ऐडवेंचरस ट्रिप का शौक रखने वाले भी यहां ज़रूर आते हैं। मान्यता है कि यहां पर ही भगवान शिव ने पार्वती को ब्रह्म ज्ञान दिया था। हर साल यहां बर्फ से शिवलिंग की कई फीट ऊंची आकृति अपने आप तैयार हो जाती है, जिसे शिव का प्रतिरूप माना जाता है।
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गुरुवयूर मंदिर (केरल):
यह भी एक हिंदू तीर्थस्थल है। लेकिन यह मंदिर दुनिया में इस रूप में ज्यादा जाना जाता है जहां सबसे ज्यादा विवाह और अन्नप्राशन संस्कार संपन्न कराए जाते हैं। इसके अलावा यह मंदिर 60 हाथियों का घर भी है जो मंदिर की सेवा में काम करते हैं।